भारतीय पौराणिक मान्यताओं और संस्कृतिक विरासतों तथा अवधारणाओं के अनुसार शिक्षा को एक श्रेष्ठ प्रकाश स्तम्भ के समान माना गया हैं। क्योंकि महान शिक्षाविद् वी.एच.यू. के संस्थापक भारतीय संस्कृति के पुरोधा पं. महामना मदनमोहन मालवीय जी द्वारा लिखित श्रेष्ठ सूक्ति "शिक्षा के माध्यम से ही देश व समाज में ज्ञान भक्ति -शक्ति संस्कार और चरित्र रूपी अनुशासित शास्वत ज्योति को और अधिक उर्जायुक्त प्रकाशवान बनाकर किसी भी राष्ट्र को सुदृढ, विकसित और सम्पूर्ण सामर्थवान बनाया जा सकता है।"
वास्तव में ज्ञान, चरित्र व देश भक्ति की पुण्य धाराओं के पवित्र संगम से शिक्षा श्रेष्ठ तीर्थ राज बन जाती हैं। अत: श्रेष्ठ शिक्षा से शिक्षित नव युवकों के जीवन का उद्देश्य होना चाहिये यह महान सार गर्भित सूक्ति - --
" उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत् "
इसी सूक्ति के आधार पर भारत के युगदृष्टा, युवा प्रेरक महान युवा सन्यासी स्वामी विवेकानन्द ने शिकांगों धर्म सम्मेलन में सम्पूर्ण विश्व को भारत की विश्व गुरुता का लोहा मनवाया। वास्तव में विद्या से ही सुख समृद्धि, ज्ञान प्रगति एवं मोक्ष मिल सकती है " सा विद्या या विमुक्तये "
मेरी दृष्टि में भी शिक्षा कुछ इस प्रकार होनी चाहिये ....
An education is the base of patriotism, Human values And cultural colorisation, for all new Generation.
वास्तव में ठीक ही कहा हैं कि यूनान, मिश्र, रोमा सव मिट गये जहाँ से, पर बात हैं कोई ऐसी कि हस्ती मिटती नही हमारी ॥
इसी विचार को हृदय में धारण कर बाष्टा क्षेत्र के 62 ग्रामों की सम्पूर्ण प्रगति सुख समृद्धि, व शिक्षा संस्कार तथा सामाजिक दिशा व दशा को सुधारने व सजाने सवांरने के लिए ही अथाईं निवासी शिक्षा प्रेमी, समाज सेवी, जन प्रिय चिकित्सक डा. श्री देवेन्द्र कुमार वत्स जी ने बीबीपुरा, बाष्टा ग्राम में शिक्षा केन्द्र सन 1982 में बाल ज्ञान निकेतन विद्यालय स्थापित किया ।
यह विद्यालय वर्तमान में नर्सरी कक्षा से कक्षा 12 तक के लिए सभी विषयो में (विज्ञान, कम्प्यूटर व कला वर्ग में) शासन से मान्यता प्राप्त विद्यालय हैं ।
वर्तमान में आज बाल ज्ञान निकेतन इण्टर कॉलेज (विद्यालय) सम्पूर्ण वाष्टा क्षेत्र का एक श्रेष्ठ विद्यालय हैं। इस विद्यालय में प्राईमरी की नर्सरी कक्षा से उच्च माध्यमिक शिक्षा तक के (कक्षा 12 तक के) विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए सभी सुविधायें उपलब्ध हैं ।
विद्यालय में कक्षा नर्सरी से कक्षा 12 तक के सभी विद्यार्थियों के लिए, स्मार्ट क्लास, प्रोजैक्टर चलचित्र दृश्य श्रव्य तकनीकि के द्वारा भाषा, गणित, विज्ञान, अंग्रेजी, सामान्य ज्ञान, टेलरिंग, कलापेन्टिंग विषयों के साथ योग व्यायामादि की भी विशेष तकनीकियुक्त शिक्षा दी जाती हैं।
इसी विद्यालय में वर्ष में दो वार इण्टर कक्षाओं के लिए विशेष रूप से नयी शिक्षा पद्धति को ध्यान में रखकर शिक्षाविदों, उत्कृष्ट प्रशासनिक I.A.S. अधिकारियों के मार्गदर्शन में कैरियर काउन्सलिंग भी करायी जाती हैं ।
विद्यार्थियों का वहुआयामी विकास करने के लिए तकनीकि युक्त नयी - नयी विधाओं का निरन्तर प्रयोग होता हैं ।
विधार्थियों के सर्वांगीण विकास के बिन्दू -
1. मनोमय (ज्ञान) कोष :- भाषा ज्ञान - हिन्दी, संस्कृत, अंग्रेजी, उर्दू भाषायें।
2. विज्ञानमय कोष :- विज्ञान तकनीकि - गणित, विज्ञान, कम्प्यूटर व सामा. विज्ञान।
3. आनन्दमय कोष :- कला , संगीत।
4. प्राणमय कोष :- योग एवं प्राणायाम साधना - खेल, शारीरिक, योगसन ।
उपरोक्त सभी शक्तियों / कोषों के विकास के लिए विद्यार्थी का सर्वांगीण विकास आवश्यक हैं। अतः उपरोक्त सभी विषयों की सैद्धान्तिक, व्यवहारिक एवं क्रियात्मकता पर आधारित रोजगार परक शिक्षा एवं ज्ञान प्रदान करना हमारा परम और प्रथम कर्त्तव्य हैं।