शैक्षणिक प्रणाली

Extracurricular activities (पाठ्येतर कार्यक्रम)

  • स्कूल में बच्चों की पढ़ाई के साथ-साथ, खेलकूद का भी अपना एक विशेष महत्व होता है। जिसके लिए स्कूल में बाल दिवस के अवसर पर, 2 दिन के लिए, स्कूल में बाल मेला का आयोजन किया जाता है। जिसमें विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताएं होती हैं जैसे फैंसी ड्रेस, प्रतियोगिता, आर्ट और क्राफ्ट प्रतियोगिता, खेल प्रतियोगिता, डिबेट आदि।
  • स्कूल में बच्चों के स्वास्थ्य के लिए एक दिन का स्वास्थ्य शिविर आयोजन किया जाता है।
  • विद्यालय का वार्षिक समारोह, 26 जनवरी को, बहुत हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। जिसमे बच्चे ड्रामा, डांस, म्यूजिक,एंटरटेनमेंट प्रोग्राम,कविता पाठ, भाषण प्रतियोगिता आदि मे भाग लेते है।
  • इसके अलावा स्कूल में हिंदी दिवस, शिक्षक दिवस, और सभी त्योहारों जैसे होली, दीपावली, ईद और क्रिसमस को मनाया जाता है।
  • स्कूल मे विभिन्न प्रतियोगिताओं जैसे रंगोली, मेंहदी, कक्षा सज्जा, फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता आदि उत्साहवर्धक कार्यक्रमों का समय समय पर आयोजन किया जाता है।
  • प्राइमरी स्कूल में सुविधाएं :

    • यह स्कूल प्रत्येक छात्र को सभी बुनियादी सुविधा प्रदान करता है।
    • स्कूल में वाहन की सुविधा उपलब्ध है ।स्कूल में इनडोर व आउटडोर खेल के मैदान की सुविधा उपलब्ध है।
    • स्कूल में स्मार्ट क्लास, लाइब्रेरी, कम्प्यूटर लैब, मेडिकल की सुविधा उपलब्ध है।
    • बच्चे स्कूल से बाहर न जाए इसलिए स्कूल में कैंटीन की व्यवस्था।
    • बच्चों के स्वास्थ्य को देखते हुए साफ-सुथरे शौचालय की व्यवस्था।
    • स्कूल में बड़े और हवादार कमरों की व्यवस्था।
    • स्कूल में छोटे बच्चों की देखभाल के लिए मेड की सुविधा।
    • बच्चों की सुरक्षा सम्बन्धी, विशेष देखभाल के लिए प्रत्येक कमरे में सी.सी.टी.वी. कैमरे की व्यवस्था।
    • स्वच्छ वातावरण, स्वच्छ पेयजल, बिजली, जनरेटर एवं पंखा आदि की समुचित व्यवस्था।

    विद्यालय की प्रगति व सफलता के विन्दू:_

    विद्यार्थी प्रगति -

    विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास -

    विद्यालय की प्रगति उन्नति और प्रसिद्धि आन्तरिक तथा वाह्य मापदण्डों के आधार पर मानी जाती हैं।

    1. आन्तरिक प्रगति और उन्नति, शिक्षण व्यवस्था तथा कक्षा कक्ष, प्रयोगशाला, शिक्षकादि |

    2. वाह्य प्रगति व उन्नति - भवन, भूमि, वाहरी चमक दमक, भवनादि, व्यवस्था ।

    आन्तरिक व्यवस्था में पुस्तकीय ज्ञान का महत्व एवं उपयोग-

    क. सैद्धान्तिक ज्ञान (पुस्तकाधारित ज्ञान)

    ख. व्यहारिकता से पूर्ण क्रिया एवं प्रयोग आधारित ज्ञान

    क. सैद्धान्तिक ज्ञान आन्तरिक व्यवस्था के बिन्दू - विद्यालय की आन्तरिक व्यवस्था पढ़ाई, परीक्षा, मूल्यांकन, परिणाम एवं शिक्षण कार्य।

    परीक्षा तथा मूल्यांकन - विद्यालय के उन्नति एवं प्रसिद्धि के लिए परीक्षा और मूल्यांकन अभिन्न हैं परीक्षा और मूल्यांकन ईमानदारी और पारदर्शिता पूर्ण होनी चाहिये। परीक्षा में विलम्ब से आने पर रोका जा सकता हैं। हमारे विद्यालय में परीक्षा व्यवस्था निम्न प्रकार हैं -

    क- प्रथम मासिक परीक्षा 20 मई से 25 मई तक।

    द्वितीय मासिक परीक्षा 25 अगस्त से 31 अगस्त।

    ख - अर्द्धवार्षिक परीक्षा 15 अक्टूवर से 31 अक्टूवर।

    ग. तृतीय मासिक 28 जनवरी से 5 फरवरी तक।

    घ. वार्षिक परीक्षा - 25 फरवरी से 20 मार्च तक

    व्यवहारिक क्रियाधारित ज्ञान प्रयोगाधारित -

    आज का युग विज्ञानाधारित प्रयोगात्मक ज्ञान पर आधारित हैं। इसलिए विद्यालय में प्रयोगात्मक मूल्यांकन के लिए प्रयोगशालाओं में प्रयोग कराकर क्रियाओं के माध्यम से ज्ञान का विकास सम्भव हैं। प्रयोगो के माध्यम से विद्यार्थी का ( स्किल डेवलपमेन्ट ) बौद्धिक विकास होता हैं।

    विद्यालय में प्रायोगिक विषय के लिए लैवस निम्न प्रकार से है-

    विज्ञान वर्ग - विद्यालय में सुसज्जित प्रयोगशालायें –1.भौतिक विज्ञान प्रयोगशाला

    2. रसायन विज्ञान प्रयोगशाला

    3. जीव व वनस्पति विज्ञान प्रयोगशाला कला वर्ग

    4. भूगोल प्रयोगशाला

    5. ग्रह विज्ञान टेलरिंग प्रयोगशाला

    उपरोक्त सभी प्रयोगशालाओं में नियमित प्रयोग होते हैं विद्यार्थी प्रोत्साहित होते हैं। विद्यालय में विद्यार्थियों के लिए कुछ विशेष सुविधाऍ निम्न प्रकार उपलब्ध है-

    प्रोजेक्टर से शिक्षण - दृश्य श्रव्य द्वारा नयी शिक्षा नीति पर आधारित विषय शिक्षण से विद्यार्थी कुछ नया सीखने के लिए प्रोत्साहित होते हैं । शिक्षण सरस तथा प्रभावी होता हैं। विद्यार्थी अधिक लाभान्वित होते हैं।

    स्मार्ट क्लास द्वारा शिक्षण सुविधा - आज देश में नयी शिक्षा नीति के अन्तर्गत शिक्षण व्यवस्था में परिवर्तन करके विद्यार्थियों की अभिरुचि के आधार पर नयी तकनीकि , इण्टरनेट आदि के द्वारा शिक्षण कार्य आवश्यक हैं। अति शीघ्र ही सभी कक्षा कक्ष स्मार्ट क्लास में विकसित हो यह विद्यालय की प्राथमिकता हैं।

    विभिन्न खेल तथा मैदान - खेल आधारित शिक्षण पद्धति - विद्यालय में भिन्न - भिन्न प्रकार के खेल व खेलोपकरणों की सुविधा है तथा खेलों का व्यवहारिक ज्ञान प्राप्त करने के लिए खेल का विशाल मैदान भी उपलब्ध है। खेल शिक्षक इस कार्यो को परिश्रम लगन व सर्तकता के साथ छात्रो को खेल व शारीरिक योगासन आदिक्रिया के द्वारा शारीरिक विकास भी करता है।

    विद्यालय की वाह्य प्रगति - बाल ज्ञान निकेतन इण्टर कॉलेज वाष्टा का अपना विशाल सुन्दर भवन सभी सुविधाओं से पूर्ण है। विद्यार्थियों के शैक्षिक विकास और आवश्यकताओं के पूर्ति व सुरक्षादि व्यवस्था के लिए सी . सी . टीवी कैमरे व गार्ड आदि उपलब्ध है। इसी के साथ खेल कराने के लिए विशाल खेल मैदान है। खेल शिक्षक P.T.I. की भी व्यवस्था है। इसी के साथ कुछ खेलो के लिए एक्स्ट्रा कोचिंग की भी व्यवस्था की जाती है। विद्यार्थी नगर तहसील जिला व प्रान्त तक खेलो में भागीदारी करके चयनित होते है तथा पुरुस्कार भी प्राप्त करते है ।

    विभिन्न प्रतियोगिताएं एवं सम्मान व पुरस्कार

    विद्यालय में वर्षारम्भ सत्र प्रारम्भ होने से सत्र पर्यान्त अनेकों बौद्धिक एवं शारीरिक खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन विद्यालय स्तर पर तथा सरकारी योजना के आधार पर अनेकों कार्यक्रम होते हैं। जिनके द्वारा विद्यार्थियों का सभी प्रकार से सर्वांगीण विकास होता हैं तथा विद्यार्थियों को पुरस्कार देकर सम्मानित भी किया जाता हैं।

    प्रतियोगिताएं निम्न हैं -

    बौद्धिक विकास प्रतियोगितायें - सुलेख, भाषण, गीत, निबन्ध, अन्त्याक्षरी तथा (काव्य पाठ) स्वरचित कविता, शब्द संग्रह।

    शारीरिक खेल, योगासन, व्यायाम प्रतियोगितायें - विद्यालय में विभिन्न प्रतियोगी खेलों का आयोजन होता हैं। प्रति वर्ष 13, 14 नवम्बर को वाल दिवस , खेल दिवस पर अनेको खेलो प्रतियोगिताओं का आयोजन होता हैं। खेल दिवस पर विद्यार्थियों के बौद्धिक व शारीरिक (खेल) विकास दोनों प्रकार की प्रतियोगितायें होती हैं।

    खेल प्रतियोगिताएं - कवडडी, हॉकी, क्रिकेट, फुटवाल, वालीवाल , खो-खो, बैडमिन्टन तथा डिवेट, क्विजं, भाषण आदि के साथ ।

    13, 14 नवम्बर को विद्यालय वार्षिक खेल दिवस - यह बाल दिवस खेल दिवस तथा बाल मेला विज्ञान प्रदर्शनी जैसे कार्यक्रमो के द्वारा विद्यार्थियों में बौद्धिक और खेल शारीरिक ऊर्जा शक्ति का विकास होता हैं। इसमें, छात्र / छात्राओं के द्वारा सभी प्रकार की दौड़ें, ऊँची व लम्बी कूदें, भाला, गोला, चक्का व पोल वाल्ट कूद जैसे शारीरिक कार्यक्रम तथा गीत , भाषण, डिवेट, स्वरचित कविता पाठ जैसे वौद्धिक विकास की प्रतियोंगिताएं कराकर निर्णायक जजों के निर्णयानुसार चयनित छात्र / छात्राओं को समाज के सम्मानितो के द्वारा पुरस्कार देकर सस्म्मान प्रमाण पत्र भी प्रदान किये जाते हैं।